सुपनेहू प्रीतम मन्ने मिलिया, हूँ गले लगी गयी..
डरपतां पलका ना खोली, मति सुपनो हुई जाई...!!
डाक्टर शार्लोट वोदविल ,डी. लिट., पेरिस, का “ढोला-मारू” फ्रेंच में अनूदित होकर छप चूका है. इस विद्वान ने फ्रेंच में एक विस्तृत भूमिका दी है..उन्होंने भूमिका में सम्भावना प्रकट की है के ढोला-मारू की कहानी प्रारंभ में जाटों की कथा रही होगी.उन्होंने ये दिखाया है के इस काव्य में जाटों की अनेक परम्परायें सुरक्षित है.
संदर्भ ग्रन्थ-
मध्ययुगीन प्रेमव्याख्यान
डॉ.श्याम मनोहर पाण्डेय
पेज नंबर- १२४
!!! ढोला-मारू !!! (Dhola-Maru)
Tuesday, December 21, 2010
Tuesday, October 26, 2010
!!! केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश..!!!
मारुधर थारे देश में, ओ जी निपजे तीन रतन..
एक ढोलों , दूजी मारुणी, तीजो कसुमो रंग..
१) केशरिया बालम ,आओ सा, पधारो म्हारे देश..
आओ सा म्हारे देश, ओ पधारो म्हारे देश..
रूपा का राजा, आओ सा पधारो म्हारे देश ..
केशरिया बालम, आओ सा, पधारो म्हारे देश..
लोग मुख देखे चाँद को, में मुख देखूं तोय,
तुम्ही हमारे चाँद हो, मुख देख्या सुख होय,
रे पधारो म्हारे देश...आओ म्हारे देश...
केशरिया बालम, आओ सा पधारो म्हारे देश..
भूपन में सब भूप हुआ, सब भूपन में सरताज
करोड जुगा तक राज़ करो, घणी खम्मा महाराज.
रे पधारो म्हारे देश..आओ म्हारे देश..
केशरिया बालम, आओ सा, पधारो म्हारे देश..
चाल घोडा, ऊंटा वालो,दिन थोडो घर दूर,
काग उड़ावे कामणी, जोबन में भरपूर,
रे काई थाणे प्यारो लागे परदेश ..
ओ पधारो म्हारे देश.आओ म्हारे देश..
केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश..
साजन आया हे सखी, तो काई मनवार करू,
थाल भरियो गज मोतिया, में ऊपर नैन धरु..
रे पधारो म्हारे देश..आओ म्हारे देश..
केशरिया बालम, आओ सा पधारो म्हारे देश..
रे मनभारिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश..
केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश..
२) केशरिया बालम आओ नी सा, पधारो म्हारे देश..
आओ म्हारे देश जी , ऐ पधारो म्हारे देश में..
पिया प्यारी रा ढोला जी, आओ नी, पधारो म्हारे देश..
आपने काई प्यारो लागे परदेश..मद्सखिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश..
अरे काजल रो कांटो लागो रे, तो मेहंदी लागी फांस,
दोए नैना ऐसे लागे, तपगी बारहों मास, आओ म्हारे देश..
पिया प्यारी रा ढोला जी सा , आओ नी सा पधारो म्हारे देश..
एडो काई प्यारो लागे परदेश..केशरिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश..
केशरियो बन डो बनाव सा, तुर्री और कटार,
केशरियो बन डो बनाव सा, तुर्री और कटार,
इन केशरिये उपरा रे, हीरा वारू हज़ार, पधारो म्हारे देश ने..
पिया प्यारी रा ढोला जी सा , आओ नी सा पधारो म्हारे देश..
एडो काई प्यारो लागे परदेश..केशरिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश..
केशरिया बालम आओ नी सा, पधारो म्हारे देश जी..
केशरिया बालम आओ नी सा, पधारो म्हारे देश जी..
Thursday, August 19, 2010
ढोला-मारू री प्रेम-कहानी !!!
ढोला-मारू की प्रेम-कथा तो म्हे घना ही कनु सुन मेली हूँ! जत्ता लोग,बत्ती बाता...पण जखी काणी मन्ने था है ,बा इया है जी...के मारवाड रे पूगल देश रा राजा अर रानी एक बार पुष्कर जी का दर्शन करबा गिया हा..बारी लाडली बेटी मरवन भी बा के सागे ही...मरवन रो नाम मारवार रे नाम पे ही रखेडो है....पुगल की सर्वसुन्दरी..नाज़ुकडी सी मरवन...म्हारी दादी कहां करे है के मरवन रे रूप रो बखान तो ढाढी भी कोणी कर पाता...बा इत्ती सरूपा थी के लोग बिने डट अर देखता ही कोणी के कठे बा री निजर न लाग जावे ....
मरवन जिस्यो ही रूप रो सिरदार हो ढोलो...नरवार रे अलवर रा राजा नल अर बारी रानी रो नाख् रालो कुंवर...तो जी बे भी पुष्कर जी का दर्शन करबा ने आयेडा हा बी बगत ...दोंन्यु राजघराना रे माए घनी बन बा लाग जावे थोडा सा ही दिना मायन...जद बा रो आप-आप रे राज में जाने को बगत आवे तो बे इन मित्रता ने पक्की करबा वास्ते छोटा-सा टाबर..डुली-सी मारू अर गुड्डे-सा ढोला ने पुष्कर जी के बठे ही पर्णा देवे...हर पाछा आपके राज में आ जावे...
फेर समय बिततो जावे...कोई जना ही बा के ब्याव री बात कोणी करे...सगळा आही सोच लेवे के जद दोंन्यु टाबर बड़ा हुसी जद ही आने से बात बता देनु सही रेवेलो...बगत बित्ते..ढोलों आप रे ब्याव की बात दर ही भूल जावे....पण बठिने मरवन ने से बाता याद हुवे ..अर बा दिन रात ढोला की याद में दोहा बांच-बांच ने बडी होवे ...कदे कुरजां ने केवे जा रे साथन म्हारी कुरजां..म्हारे ढोले ने जाके कह दे ...बेगा आवे म्हाने लेवन ने....कदे परवाना लिख-लिख फाड़े ....भेजे तो भेजे किन सागे....इयान ही करता-करता बे पूरा बीस बरस का हू जावे.....
अब राजा नल युद्ध में मारया जावे,रानी सह नहीं पावे..प्राण दे देवे...ढोलों राजा बने ...पण अब बिने कुन बतातो बीके बालपने का ब्याव के बारे में....थोडा बगत पाछे ढोला रो दूजो ब्याव...मालवा के राजा री बेटी मालवानी रे सागे हू जावे...मालवानी ने बेरो हुवे है के ढोला रो ब्याव मरवन रे सागे हुयेडो है...कोई-कोई जना तो या भी केवे ह के मालवानी ही बालपने सु ढोला रे सागे ब्याव रा सुपना लेती ही..अर जद बिने ढोला-मारू रे ब्याव रे समचार मिले तो बा बालपने में ही टोटका री सीख लेबा लाग जावे अर बिरे टोटका सु ही जोध-जवानी में ढोलों मारू ने भूल जावे...पण इ सगळी बाता तो प्रेम-कहानी ने रोचक बना बा ने गढयोडी सी लागे है...भला राज्कुंवरी ने काई लोड पड़गो टोटका सिखबा को...
तो जी जद पूगल रानी ने आपरी लाडो मारू रे बिरह का समाचार मिले तो बे राजा ने आर बतावे के अब ढोला ने परवाणु भेजो के आर मारू ने मुकला लेवे...जद राजा परवाना भेजे तो बे सगळा मालवानी ने मिल ज्यावे ...बा कोणी चावे के बी को प्रेम बंट जावे..तो बा सगळा समाचार जका भी मारवाड सु आता ,बाने ढोला कण कोणी पूग बा देती.....जद मरवन सुन्यो के ढोला कन्ने सु काई समचार पाचा कोणी आवे ...तो बे ढोली ने बुलावे अर आप री बात ने दुहा रे रूप में ढोली ने समझावे....
ढोली नरवार जाए ने मारू रा दुहा बांचता फिरे,पण बे मालवानी रे समझ पड जावे ,बा ढोलीया ने ढोले सु मिलबा ही कोणी देवे.....जद ढोली जुगत लगावे अर रात रे मंदरा-मंदरा सन्नाटा में मारू रा दुहा गावे ...ढोले री सुखबर नींद टूट जावे अर बो ढोलीडा का राग सुन लेवे...सुन ता ही बिने आप रे ब्याव री याद लौट आवे...अर मारू री घनी ओल्यु आबा लाग जावे...ढोलों मलवानी ने सारी बात बतावे अर मारवाड जाने री जिद्द करे...मालवानी ढोले ने नटबा खातिर कई सारा बायना बनावे...पण ढोलों माने नी....अर एक रात मालवानी ने सुत्तो छोड पाती लिख ने मारवाड बीर हू ज्यावे....
बठे मारवाड में ढोला रा कोई सन्देश ना मिले जना..राजा रे घंनी चिंता हू ज्यावे ....बे मारू रे दूजे ब्याव की सोचे अर उमर-सुमर भायां को संदेशो पावे के बे मारू से ब्याव करबो चावे ह....राजा उमर-सुमर ने बुला लेवे....बी दिन ही ढोलों मारवाड पूग ज्यावे अर उमर-सुमर के मंसूबा पे पानी फिर ज्यावे.....मरवन ,ढोला ने आया देख घंनी खुश होर जुहार करे...बारो खूब स्वागत-सत्कार करे....बाकि खुशी हिये में ना समाये....
ढोलों कई दिन मारवाड में रेवे अर मारू रे प्रेम रो पार नी पावे.....फेर बे राजा से मारू के मुकलावे की बात कर हर नरवार बीर हुबा की केवे,जद उमर अर सुमर ढोले ने एक रात बाके सागे भोजन करबा ने बुलावे....असल में उमर-सुमर ढोले ने मारण की बिधि जुगाड़े ...आ बात एक दासी ने ठा पड जावे...अर बा सगळी बात मारू ने बाता देवे...जद ढोलों जीमन ने आवे...कौर मूंडे में लेवन सु पेली ही मारू ऊंट रे ऊपर बठे आ जावे अर ढोले ने नहीं खाबा को इशारों कर देवे...ढोलों मारू की बात समझ ने बी बगत ही बठे सु मारू के सागे ऊंट पे सवार हू र नरवार री ओट लेवे ..उमर सुमर तलवार निकल ने ढोले रे पाछे भागे...ढोलों बा सु युद्ध कर ने बाने हरा अर मारवाड रे बारे निकल जावे...चालता-चालता बे एक जंगल में पूग जावे...बठे रात बसेरो करे...रात ने ढोलों मारू रे रूप रो बखान करे...बे दोन्यु जना प्रेम-प्रीती री बाता में चांदनी रात में बिहार करे....
दिन उगया हूँ पेली ही एक सांप मारू ने डस लेवे...मारू रा प्राण बठे ही निकल जावे....ढोलों मारू रो शीश खोल्या में ले अर पूरी रात रो-रो बितावे....दिन उग्या ढोलों मारू रे सागे ही...चित्ता बणा अर मरने की सोच लेवे..मारू के बिना बिने आपको जीवन काई कोणी लागे....जद ढोलों मरण की जुगत बिठावे....उन समय रे माएने कोई बठीनु जाता बिंजारा,,सारंगी अर अलगोजा बजाता निसरे...बे ढोले ने चित्ता पे देखे अर सारी बात पूछे....ढोलों बाने से बीती सुनावे...अर चित्ता ने आग लगावन की केवे...बिंजारा बोले...म्हे थारे प्रेम सु प्रसन्न हाँ...थारो प्रेम सांचो ह...तू मरे मन्ना ...म्हे थारी धन ने जिवंतो कर देवा....म्हाने जेहर निकलाणु आवे है....ढोलों बाने अरज करे ...बिंजारा आप का सगळा बाजा ने बजाये ने जंतर करे अर समय बितता मारू रा प्राण पाछा आ ज्यावे...अर बे बिंजारा ने मोकला धन्यवाद दे अर नारवार देश री सुध लेवे...
नारवर में मालवानी पेली तो रूस जावे पण बेगी ही मारू रे प्रेम में पिघल के बिने सागे राखबा ने मान जावे....तीन्यू जाना सुख सु बसे....
कैबत तो आ भी है के एक बार मलवानी अर मरवन में आप रे देश री बात पे झगडो हुई ज्यावे...मालवानी आप रे देश मालवा ने ज्यादा मोहक बतावे अर मारवाड री बुराइ करे...जद ढोलों मारवाड रे बारे में बखान कर ने मालवानी ने केवे म्हारो राजस्थान सगलो ही रंगीलो मालवानी ...के माँलवो हं के मारवाड....आपा री धरा री सगळी माटी सोने रंगी...एके कण-कण में बसे नयी उमंग नयी तरंग....जय जय एराजस्थान.,,जय मरुधरा....
तो जी हू सके है में जो कहानी थाणे सुनाइ हूँ बा सही ना होवे...कठे-कठे में बखान में कमी-बेसी भी कर दियो हूँ....जे आपने सटीक कहानी रो ज्ञान हुवे तो म्हारी अर्जी है सा आप म्हणे बीके बारे में जानकारी जरुर दीज्यो...अर थाणे आ कहानी खशीक लागी..म्हाने जरुर बताज्यो....राम राम सा !!!
मरवन जिस्यो ही रूप रो सिरदार हो ढोलो...नरवार रे अलवर रा राजा नल अर बारी रानी रो नाख् रालो कुंवर...तो जी बे भी पुष्कर जी का दर्शन करबा ने आयेडा हा बी बगत ...दोंन्यु राजघराना रे माए घनी बन बा लाग जावे थोडा सा ही दिना मायन...जद बा रो आप-आप रे राज में जाने को बगत आवे तो बे इन मित्रता ने पक्की करबा वास्ते छोटा-सा टाबर..डुली-सी मारू अर गुड्डे-सा ढोला ने पुष्कर जी के बठे ही पर्णा देवे...हर पाछा आपके राज में आ जावे...
फेर समय बिततो जावे...कोई जना ही बा के ब्याव री बात कोणी करे...सगळा आही सोच लेवे के जद दोंन्यु टाबर बड़ा हुसी जद ही आने से बात बता देनु सही रेवेलो...बगत बित्ते..ढोलों आप रे ब्याव की बात दर ही भूल जावे....पण बठिने मरवन ने से बाता याद हुवे ..अर बा दिन रात ढोला की याद में दोहा बांच-बांच ने बडी होवे ...कदे कुरजां ने केवे जा रे साथन म्हारी कुरजां..म्हारे ढोले ने जाके कह दे ...बेगा आवे म्हाने लेवन ने....कदे परवाना लिख-लिख फाड़े ....भेजे तो भेजे किन सागे....इयान ही करता-करता बे पूरा बीस बरस का हू जावे.....
अब राजा नल युद्ध में मारया जावे,रानी सह नहीं पावे..प्राण दे देवे...ढोलों राजा बने ...पण अब बिने कुन बतातो बीके बालपने का ब्याव के बारे में....थोडा बगत पाछे ढोला रो दूजो ब्याव...मालवा के राजा री बेटी मालवानी रे सागे हू जावे...मालवानी ने बेरो हुवे है के ढोला रो ब्याव मरवन रे सागे हुयेडो है...कोई-कोई जना तो या भी केवे ह के मालवानी ही बालपने सु ढोला रे सागे ब्याव रा सुपना लेती ही..अर जद बिने ढोला-मारू रे ब्याव रे समचार मिले तो बा बालपने में ही टोटका री सीख लेबा लाग जावे अर बिरे टोटका सु ही जोध-जवानी में ढोलों मारू ने भूल जावे...पण इ सगळी बाता तो प्रेम-कहानी ने रोचक बना बा ने गढयोडी सी लागे है...भला राज्कुंवरी ने काई लोड पड़गो टोटका सिखबा को...
तो जी जद पूगल रानी ने आपरी लाडो मारू रे बिरह का समाचार मिले तो बे राजा ने आर बतावे के अब ढोला ने परवाणु भेजो के आर मारू ने मुकला लेवे...जद राजा परवाना भेजे तो बे सगळा मालवानी ने मिल ज्यावे ...बा कोणी चावे के बी को प्रेम बंट जावे..तो बा सगळा समाचार जका भी मारवाड सु आता ,बाने ढोला कण कोणी पूग बा देती.....जद मरवन सुन्यो के ढोला कन्ने सु काई समचार पाचा कोणी आवे ...तो बे ढोली ने बुलावे अर आप री बात ने दुहा रे रूप में ढोली ने समझावे....
ढोली नरवार जाए ने मारू रा दुहा बांचता फिरे,पण बे मालवानी रे समझ पड जावे ,बा ढोलीया ने ढोले सु मिलबा ही कोणी देवे.....जद ढोली जुगत लगावे अर रात रे मंदरा-मंदरा सन्नाटा में मारू रा दुहा गावे ...ढोले री सुखबर नींद टूट जावे अर बो ढोलीडा का राग सुन लेवे...सुन ता ही बिने आप रे ब्याव री याद लौट आवे...अर मारू री घनी ओल्यु आबा लाग जावे...ढोलों मलवानी ने सारी बात बतावे अर मारवाड जाने री जिद्द करे...मालवानी ढोले ने नटबा खातिर कई सारा बायना बनावे...पण ढोलों माने नी....अर एक रात मालवानी ने सुत्तो छोड पाती लिख ने मारवाड बीर हू ज्यावे....
बठे मारवाड में ढोला रा कोई सन्देश ना मिले जना..राजा रे घंनी चिंता हू ज्यावे ....बे मारू रे दूजे ब्याव की सोचे अर उमर-सुमर भायां को संदेशो पावे के बे मारू से ब्याव करबो चावे ह....राजा उमर-सुमर ने बुला लेवे....बी दिन ही ढोलों मारवाड पूग ज्यावे अर उमर-सुमर के मंसूबा पे पानी फिर ज्यावे.....मरवन ,ढोला ने आया देख घंनी खुश होर जुहार करे...बारो खूब स्वागत-सत्कार करे....बाकि खुशी हिये में ना समाये....
ढोलों कई दिन मारवाड में रेवे अर मारू रे प्रेम रो पार नी पावे.....फेर बे राजा से मारू के मुकलावे की बात कर हर नरवार बीर हुबा की केवे,जद उमर अर सुमर ढोले ने एक रात बाके सागे भोजन करबा ने बुलावे....असल में उमर-सुमर ढोले ने मारण की बिधि जुगाड़े ...आ बात एक दासी ने ठा पड जावे...अर बा सगळी बात मारू ने बाता देवे...जद ढोलों जीमन ने आवे...कौर मूंडे में लेवन सु पेली ही मारू ऊंट रे ऊपर बठे आ जावे अर ढोले ने नहीं खाबा को इशारों कर देवे...ढोलों मारू की बात समझ ने बी बगत ही बठे सु मारू के सागे ऊंट पे सवार हू र नरवार री ओट लेवे ..उमर सुमर तलवार निकल ने ढोले रे पाछे भागे...ढोलों बा सु युद्ध कर ने बाने हरा अर मारवाड रे बारे निकल जावे...चालता-चालता बे एक जंगल में पूग जावे...बठे रात बसेरो करे...रात ने ढोलों मारू रे रूप रो बखान करे...बे दोन्यु जना प्रेम-प्रीती री बाता में चांदनी रात में बिहार करे....
दिन उगया हूँ पेली ही एक सांप मारू ने डस लेवे...मारू रा प्राण बठे ही निकल जावे....ढोलों मारू रो शीश खोल्या में ले अर पूरी रात रो-रो बितावे....दिन उग्या ढोलों मारू रे सागे ही...चित्ता बणा अर मरने की सोच लेवे..मारू के बिना बिने आपको जीवन काई कोणी लागे....जद ढोलों मरण की जुगत बिठावे....उन समय रे माएने कोई बठीनु जाता बिंजारा,,सारंगी अर अलगोजा बजाता निसरे...बे ढोले ने चित्ता पे देखे अर सारी बात पूछे....ढोलों बाने से बीती सुनावे...अर चित्ता ने आग लगावन की केवे...बिंजारा बोले...म्हे थारे प्रेम सु प्रसन्न हाँ...थारो प्रेम सांचो ह...तू मरे मन्ना ...म्हे थारी धन ने जिवंतो कर देवा....म्हाने जेहर निकलाणु आवे है....ढोलों बाने अरज करे ...बिंजारा आप का सगळा बाजा ने बजाये ने जंतर करे अर समय बितता मारू रा प्राण पाछा आ ज्यावे...अर बे बिंजारा ने मोकला धन्यवाद दे अर नारवार देश री सुध लेवे...
नारवर में मालवानी पेली तो रूस जावे पण बेगी ही मारू रे प्रेम में पिघल के बिने सागे राखबा ने मान जावे....तीन्यू जाना सुख सु बसे....
कैबत तो आ भी है के एक बार मलवानी अर मरवन में आप रे देश री बात पे झगडो हुई ज्यावे...मालवानी आप रे देश मालवा ने ज्यादा मोहक बतावे अर मारवाड री बुराइ करे...जद ढोलों मारवाड रे बारे में बखान कर ने मालवानी ने केवे म्हारो राजस्थान सगलो ही रंगीलो मालवानी ...के माँलवो हं के मारवाड....आपा री धरा री सगळी माटी सोने रंगी...एके कण-कण में बसे नयी उमंग नयी तरंग....जय जय एराजस्थान.,,जय मरुधरा....
तो जी हू सके है में जो कहानी थाणे सुनाइ हूँ बा सही ना होवे...कठे-कठे में बखान में कमी-बेसी भी कर दियो हूँ....जे आपने सटीक कहानी रो ज्ञान हुवे तो म्हारी अर्जी है सा आप म्हणे बीके बारे में जानकारी जरुर दीज्यो...अर थाणे आ कहानी खशीक लागी..म्हाने जरुर बताज्यो....राम राम सा !!!
Tuesday, August 17, 2010
मारवाड़ी हंताई !!!
ढोला-मारू मारवाड़ की शान..तो जी आप तो सुन्यो ही हुलो आ को नाम...नहीं सुन्यो तो अब म्हे बता देऊ आपने आंके बारा में...ढोला हर मर्वन राजस्थान में नायक अर नायिका के नाम सु प्रसिद्ध है..आंकी प्रेम गाथा तो लगभग सगळा ने ही था हुवे है....राजस्थान के मायने आंकी प्रेम कहानी गाई जावे है....ल्यो आपने भी सुना दयु......एक गीत जको मन्ने घनु भलो लागे है......
"ढोला-मरवन पग चरना री चेरी थारी जी....थे बेगा ही सुध लीज्यो पाछा आकर म्हारी जी...के मरवन होगी थारी जी....ढोला ओ ढोला.....
चेरी मत बोलो जीवन-जेवड़ी होगी म्हारी जी...पल-भर भी याद न भूलेगी,इब मरवन थारी जी..के मरवन होगी म्हारी जी...मरवन ओ मरवन ....."
आल्यो जी म्हे तो ढोला-मारू के गाना में खोके आ भी बताणु भूलगी के म्हे ओ ब्लॉग क्याने बनायो हो....ढोला-मारू की बाता आपां पछे करस्या, पेली म्हे ब्लॉग की जानकारी दे दयु..म्हारा मारवाड़ी प्रेम ने देख के म्हारा जानकार मन्ने सलाह दी ही के में मारवाड़ी को ब्लॉग भी बना दयु...क्योकि मारवाड़ी का घना ही कम ब्लॉग है हाल ताई...और लोगा ने चोखो लागे है मारवाड़ी में बात करणु...मारवाड़ी गाना...मारवाड़ी हंताया....तो अथे म्हे करसु आप सु मारवाड़ी की बाता...जे थाने भी मारवाड़ी से अत्तो ही प्रेम है,तो आता रिज्यो जी म्हारा ब्लॉग ने निहारबा ने...आपको घनु-घनु स्वागत है अट्ठे...बेगा ही पधारज्यो...मन्ने उडीक रेसी.....जय राम जी की.....!!!!
"ढोला-मरवन पग चरना री चेरी थारी जी....थे बेगा ही सुध लीज्यो पाछा आकर म्हारी जी...के मरवन होगी थारी जी....ढोला ओ ढोला.....
चेरी मत बोलो जीवन-जेवड़ी होगी म्हारी जी...पल-भर भी याद न भूलेगी,इब मरवन थारी जी..के मरवन होगी म्हारी जी...मरवन ओ मरवन ....."
आल्यो जी म्हे तो ढोला-मारू के गाना में खोके आ भी बताणु भूलगी के म्हे ओ ब्लॉग क्याने बनायो हो....ढोला-मारू की बाता आपां पछे करस्या, पेली म्हे ब्लॉग की जानकारी दे दयु..म्हारा मारवाड़ी प्रेम ने देख के म्हारा जानकार मन्ने सलाह दी ही के में मारवाड़ी को ब्लॉग भी बना दयु...क्योकि मारवाड़ी का घना ही कम ब्लॉग है हाल ताई...और लोगा ने चोखो लागे है मारवाड़ी में बात करणु...मारवाड़ी गाना...मारवाड़ी हंताया....तो अथे म्हे करसु आप सु मारवाड़ी की बाता...जे थाने भी मारवाड़ी से अत्तो ही प्रेम है,तो आता रिज्यो जी म्हारा ब्लॉग ने निहारबा ने...आपको घनु-घनु स्वागत है अट्ठे...बेगा ही पधारज्यो...मन्ने उडीक रेसी.....जय राम जी की.....!!!!
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