ढोला-मारू मारवाड़ की शान..तो जी आप तो सुन्यो ही हुलो आ को नाम...नहीं सुन्यो तो अब म्हे बता देऊ आपने आंके बारा में...ढोला हर मर्वन राजस्थान में नायक अर नायिका के नाम सु प्रसिद्ध है..आंकी प्रेम गाथा तो लगभग सगळा ने ही था हुवे है....राजस्थान के मायने आंकी प्रेम कहानी गाई जावे है....ल्यो आपने भी सुना दयु......एक गीत जको मन्ने घनु भलो लागे है......
"ढोला-मरवन पग चरना री चेरी थारी जी....थे बेगा ही सुध लीज्यो पाछा आकर म्हारी जी...के मरवन होगी थारी जी....ढोला ओ ढोला.....
चेरी मत बोलो जीवन-जेवड़ी होगी म्हारी जी...पल-भर भी याद न भूलेगी,इब मरवन थारी जी..के मरवन होगी म्हारी जी...मरवन ओ मरवन ....."
आल्यो जी म्हे तो ढोला-मारू के गाना में खोके आ भी बताणु भूलगी के म्हे ओ ब्लॉग क्याने बनायो हो....ढोला-मारू की बाता आपां पछे करस्या, पेली म्हे ब्लॉग की जानकारी दे दयु..म्हारा मारवाड़ी प्रेम ने देख के म्हारा जानकार मन्ने सलाह दी ही के में मारवाड़ी को ब्लॉग भी बना दयु...क्योकि मारवाड़ी का घना ही कम ब्लॉग है हाल ताई...और लोगा ने चोखो लागे है मारवाड़ी में बात करणु...मारवाड़ी गाना...मारवाड़ी हंताया....तो अथे म्हे करसु आप सु मारवाड़ी की बाता...जे थाने भी मारवाड़ी से अत्तो ही प्रेम है,तो आता रिज्यो जी म्हारा ब्लॉग ने निहारबा ने...आपको घनु-घनु स्वागत है अट्ठे...बेगा ही पधारज्यो...मन्ने उडीक रेसी.....जय राम जी की.....!!!!
"ढोला-मरवन पग चरना री चेरी थारी जी....थे बेगा ही सुध लीज्यो पाछा आकर म्हारी जी...के मरवन होगी थारी जी....ढोला ओ ढोला.....
चेरी मत बोलो जीवन-जेवड़ी होगी म्हारी जी...पल-भर भी याद न भूलेगी,इब मरवन थारी जी..के मरवन होगी म्हारी जी...मरवन ओ मरवन ....."
आल्यो जी म्हे तो ढोला-मारू के गाना में खोके आ भी बताणु भूलगी के म्हे ओ ब्लॉग क्याने बनायो हो....ढोला-मारू की बाता आपां पछे करस्या, पेली म्हे ब्लॉग की जानकारी दे दयु..म्हारा मारवाड़ी प्रेम ने देख के म्हारा जानकार मन्ने सलाह दी ही के में मारवाड़ी को ब्लॉग भी बना दयु...क्योकि मारवाड़ी का घना ही कम ब्लॉग है हाल ताई...और लोगा ने चोखो लागे है मारवाड़ी में बात करणु...मारवाड़ी गाना...मारवाड़ी हंताया....तो अथे म्हे करसु आप सु मारवाड़ी की बाता...जे थाने भी मारवाड़ी से अत्तो ही प्रेम है,तो आता रिज्यो जी म्हारा ब्लॉग ने निहारबा ने...आपको घनु-घनु स्वागत है अट्ठे...बेगा ही पधारज्यो...मन्ने उडीक रेसी.....जय राम जी की.....!!!!
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ReplyDeletenice work siya ..keep it up
ReplyDeletetu to ghano hi chokho kaam karyo hai
dhnyawad prashant...bas ji aap sabko sath riyo to marwadi ne iyan hi failata resya...:)
ReplyDeleteRavi Nehra
ReplyDelete""""""""""
nice story :) bas kuch kuch samajh nai aayi.. :P
matlab kuch samajh nai aaya.. :( :P
ReplyDeleteयहां आकर अच्छा लगा। यहां माटी की गंध है और जीवन की महक...राजस्थानी लोक साहित्य-संस्कृति को उसके सुन्दरतम रूप में जानना हो तो ढोला-मारू से अच्छी कोई कथा नहीं....बधाई
ReplyDeleteसुपनेहू प्रीतम मन्ने मिलिया, हूँ गले लगी गयी..
ReplyDeleteडरपतां पलका ना खोली, मति सुपनो हुई जाई...!!